उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू फीवर मिलने से पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। व संवेदनशील शहरों के बाल्मीकि बस्तियों में विभाग जागरुकता अभियान चला रहा है, जिसके तहत विभाग की टीम लोगों को स्वच्छता और बचाव के उपाय बता रही है। टीम ने लोगों को बताया कि जहां सुअर बीमार हैं और संक्रमण फैल रहा है ऐसे स्थानों पर नियमित फॉगिंग करें व नालियों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें। वहीं निदेशक डॉ प्रेम कुमार ने पशु चिकित्सा अधिकारियों को सावधानी बरतने के आदेश दिए हैं। साथ ही बुखार से पीड़ित सुअर किसी दूसरे सुअर के संपर्क में न आए इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन से कंटेन्मेंट जोन बनाने की बात भी की है। ताकि फीवर प्रभावित पशुओं को एक ही जगह रखा जा सके।
इंसानों को नहीं है इस फ्लू से खतरा:
डॉ प्रेम ने यह भी बताया कि स्वाइन फीवर बीमारी से इंसानों को कोई खतरा नहीं है। वे इस बात से पूरी तरह निश्चिंत रह सकते हैं। इससे केवल सुअर प्रभावित होते हैं। मगर ये जरूर है कि स्वाइन फ्लू से प्रभावित सुअर से इंसान को एक निश्चित दूरी बनाके रखनी चाहिए।
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स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण:
स्वाइन फ्लू इस समय पशु चिकित्सा विभाग के लिए सरदर्दी बन गया है। मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि विभाग के पास इसका कोई इलाज नहीं है। सावधानी बरतना ही मुख्य उपचार है। इस फ्लू से अबतक 115 सुअरों की जान जा चुकी है। ऐसे में विभाग ने लोगों से अपील की है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण तेज बुखार, नांक मुंह में सूजन, उल्टी-दस्त, दिमाग की नस फटने जैसा कुछ भी सुअरों में दिखे तो तत्काल वह विभाग को सूचित करें। ताकि समय रहते स्थिति को तुरंत संभाला जा सके।