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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में बसुकेदार तहसील के बष्टा गाँव में आतंक का पर्याय बने गुलदार को आदमखोर घोषित ना किए जाने पर और प्रभावित क्षेत्र में शूटर की तैनाती न होने पर स्थानीय महिलाओं में आक्रोश बना हुआ है। आक्रोशित ग्रामीण महिलाओं ने आगामी 18 जुलाई को वन विभाग कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय को घेरने का निर्णय लिया है।

दरअसल, कुछ दिनों पहले वन विभाग की उत्तरी रेंज जखोली के बष्टा गांव में एक आठ वर्षीय बच्चे को गुलदार ने अपना निवाला बना दिया था। इस घटना के बाद से सभी ग्रामीण गुलदार के ख़ौफ़ में जी रहे हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि कहीं कोई एक और अनहोनी न हो जाए।

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ग्रामीण महिलाएँ अब घास लेने जंगल जाने से कतरा रही है। और अगर वह जंगल नहीं जाएंगे तो मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था नहीं हो पाएगी। इसके साथ ही जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ते है, उन्हें भी अधिक डर लगा हुआ है कि कहीं स्कूल से आते जाते वक्त बच्चों के साथ गुलदार द्वारा कोई अनहोनी ना हो जाए। क्योंकि स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। गांव में पानी के प्राकृतिक स्रोत व सभी की गौशाला  भी दूर- दूर हैं। ग्रामीणों को हर समय अब गुलदार का भय सताने लगा है। और इसके साथ ही उन्होंने प्रभावित क्षेत्र में सोलर लाइट लगाने की भी मांग की।

ग्रामीण महिला मीना देवी, उर्मिला देवी, पुष्पा देवी, विनीता देवी, कांता देवी का कहना है कि अब इधर- उधर जाने में भी अब गुलदार का डर सता रहा है। उन्होंने कहा की वन विभाग एक और घटना का इंतजार कर रहा है।
अब किसी भी तरह की कोई घटना व अनहोनी होती है तो उसके लिए वन विभाग पूरी तरह से जिम्मेदार रहेगा। वन विभाग वाले सिर्फ खानापूर्ति कर रहे है। उनका कहना है की- “एक पिंजरा और दो कैमरे लगाने के सिवाय वन विभाग का कोई कर्मचारी प्रभावित क्षेत्र में नहीं है।” महिलाओं ने कहा कि गुलदार को आदमखोर घोषित नहीं किया गया तो वह बड़ी संख्या में सोमवार को वन विभाग और जिलाधिकारी कार्यालय में पहुँचकर घेराव करेंगी।

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