उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित केदारनाथ धाम में सदियों से एक पुरानी परंपरा चली आ रही है। भगवान आशुतोष के 11वें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम में भतूज (अन्नकूट) मेला हर साल रक्षा बंधन से एक दिन पहले मनाया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी इस परंपरा को 10 अगस्त को मनाया जाएगा। इसके साथ ही बाबा के धाम में उस दिन भक्तों को काफ़ी चहल- पहल भी देखने को मिलेगी।
इस पर्व की यह मान्यता है कि नए अनाज में पाए जाने वाले विष को भोले बाबा स्वयं ग्रहण करते हैं। इस त्योहार को मनाने की पौराणिक परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है। रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ मंदिर में रात्रि की आरती के बाद सबसे पहले केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान शिव के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा-अर्चना करते है। उसके पश्चात नए अनाज झंगोरा, चावल, कौंणी आदि का लेप लगाकर स्वयंभू लिंग का श्रृंगार करते है। इस दिन भोले बाबा के श्रृंगार का दृश्य अलौकिक होता है। पुराने जमाने में केदारघाटी की सभी अविवाहित लड़कियां अपने विवाह होने से पूर्व एक बार शिव के इस रूप का दर्शन करने अनिवार्य रूप से केदारनाथ जाती थी।
इसके साथ ही यह पर्व व मेला विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, घुणेश्वर महादेव एवं ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भी मनाया जाता है। केदारनाथ धाम भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एकमात्र ऐसा स्थान हैं, जहां भतूज मेला लगता है। और मेले के दौरान भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट पूरी रात भर सिर्फ इसी एक दिन खुलते हैं। कई सारे श्रद्धालु इस विशाल मेले में शामिल होते हैं और मध्यरात्रि से सुबह 04:00 बजे तक सजाए गए शिवलिंग के दर्शन करते हैं।
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वहीं इस साल भगवान केदारनाथ धाम में रिकार्ड तोड़ यात्री पहुंच रहे हैं। 75 दिन मे अब तक 9 लाख से अधिक भक्त बाबा केदारनाथ के दर्शन कर चुके है। और हवाई सेवा से 85088 यात्री दर्शन कर चुके हैं। इसे देख ऐसा लगता है की इस बार सभी रिकार्ड टूट जाएंगे।