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जाने राजनीतिक वजहों से चर्चा में आए बुलडोजर की अनोखी कहानी…

राजनीतिक वजहों से बुलडोजर आजकल खुब सुर्खियां बटोर रहा है। इसकी चर्चा राजनीतिक मंचों से लेकर मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी खुब हो रही है। ब्यूरोक्रेट्स की ओर से लगातार इस्तेमाल में लाए जा रहे बुलडोजर का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं तो कुछ लोग इसके समर्थन में हैं। इसके उदाहरण के रूप से सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे कई मीम-थीम देखे जा सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं उसकी हिस्ट्री के बारे में जो आज अपने कारनामों से इस वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है।

बुलडोजर का असली नाम ‘बैकहो लोडर’ है। इसके अविष्कार को लेकर कई दावे सामने आते हैं। वैसे तो इसका अस्तित्व प्रारंभ में खेती-बाड़ी के उपयोग से शुरू हुआ। पहले इसे ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेती-बाड़ी का काम होता था। उस वक्त यह काफी छोटे आकार का होता था।

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सबसे पहले बड़े आकार के बुलडोजर का अविष्कार कैलिफोर्निया के एक किसान बेंजामिन होल्ट ने 1904 में किया था। लगभग उसी समय इंग्लैंड की हॉर्नस्बी कंपनी ने भी बुलडोजर के अपने एक वर्जन का पेटेंट कराया था। जो आज के बुलडोजर से मिलता-जुलता था। हॉर्नस्बी कंपनी ने 1914 के आसपास अपने पेटेंट बेंजामिन होल्ट को बेच दिया। भले ही कुछ लोग इन आविष्कारों को बुलडोजर कहते हैं, लेकिन वे वास्तव में क्रॉलर माने जाते थे न कि तकनीकी रूप से बुलडोजर।

जेसीबी एक कंपनी है जो बुलडोजर बनाती है। इसका पूरा नाम जोसेफ सिरिल बैमफ़ोर्ड है। जिसका नाम कंपनी के संस्थापक बैमफ़ोर्ड के नाम पर रखा गया है। बैमफ़ोर्ड ने इस कंपनी की स्थापना 1945 में की थी। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त के बचे-खुचे हुए पार्ट और मेटल के टुकड़ों से ट्रेलर बनाया। उसके बाद उन्होंने मेजर लोडर बनाया। जो यूरोप का पहला इंडस्ट्रीयल फ्रंट एण्ड लोडर कहा जाने लगा।

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