भारत को अपना नया और 15वां राष्ट्रपति मिल गया है। रामनाथ कोविंद के बाद राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान हुआ था। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को हो रहा है। चुनाव के बाद गुरुवार को हुई वोटों की गिनती में एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू(Draupadi Murmu) ने पूरे 540 वोट हासिल किए हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा ने सिर्फ़ 208 वोट हासिल किए हैं। इसके साथ ही भारत देश को अपनी दूसरी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही है। इससे पहले श्रीमती प्रतिभा पाटिल को देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। द्रौपदी मुर्मू केवल भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति ही नहीं, बल्कि देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति भी बन रही हैं।
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ओडिशा की आदिवासी महिला नेता और झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू(Draupadi Murmu) का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। मुर्मू के पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। और मुर्मू के पिता गांव के मुखिया हुआ करते थे। उन्होंने गृह जनपद से शिक्षा प्राप्त करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में बतौर शिक्षिका अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने परिवार में अपने पति और बेटों को खोया। राजनीति में प्रवेश के बाद पार्षद, विधायक और राज्य सरकार में मंत्री बनी। इसके साथ ही झारखंड की गवर्नर बनने तक का मौका मिला।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू एक व्यवस्थित जीवन जीती हैं। वह चाहे कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, लेकिन प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर रोज सैर करना, ध्यान और योग करना कभी नहीं भूलतीं। द्रौपदी रोजाना सुबह 3:30 बजे उठ जाती हैं। जिसके बाद वह सैर पर जाती हैं। और घर पर ही योग करती हैं। वह अपने समय को लेकर बहुत पाबंद हैं। ऐसा कहा जाता है कि मुर्मू कभी भी कही भी देरी से नहीं पहुंचतीं।