नाग जगाई: आजकल केदारघाटी में ख़ुशियों का माहौल बना हुआ है। क्योंकि आजकल यहां माँ दुर्गा अपने स्थान फेगू से सबके दुख दूर करने घर- घर जा रही है। जी हाँ माता का देवरा कार्यक्रम 10 जुलाई से शुरू हो चुका है और अब तक माँ फेगू व बरम्वाडी गाँव का भ्रमण कर चुकी है। और इसके साथ ही वह धीरे- धीरे आगे की ओर बढ़ रही है।
वैसे तो आप सभी भली- भाँति जानते ही है, उत्तराखंड देवी देवताओं की भूमि है। यहाँ देवी- देवताओं को अपनी- अपनी मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है। ऐसी ही एक दिव्या माँ और उनके प्रसिद्ध मंदिर से हम आज आपको अवगत कराने जा रहे है।जो की हमारे पौराणिक संस्कृति व धर्म के साथ जुड़ा हुआ है। यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जनपद के केदारघाटी में फेगू नामक गांव में स्थित है।
यह मां दुर्गा का मंदिर फेगू गांव के बीचो- बीच बसा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा अपनी नौ बहनों में सब से बड़ी है। इस मंदिर की पूजा वहा के मुख्य पुजारी द्वारा की जाती है। इस मंदिर में मां दुर्गा की पाषाण मूर्ति की पूजा की जाती है। तथा साथ में भगवान भोलेनाथ भी पूजे जाते है।
ऐसा कहा और माना जाता है की एक बार मां दुर्गा अपनी सभी बहनों के साथ बैठी हुई थी। तभी उन सभी बहनों को अचानक लगता है की वहाँ जंगल की अप्सराएं उनको घेरने के लिए आ रही हैं। वह सभी बहने वहां से भाग जाती है। परन्तु मां दुर्गा की सबसे छोटी बहन वहीं छूट जाती है। और उनमें से सब से बड़ी बहन भागकर फेगू मंदिर में आ जाती है, तब से इस मंदिर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। और मां दुर्गा का मायका नाग जगाई गांव में स्थित है। जहा मां हर नवरात्रि के कालरात्रि के दिन अपनी मां से मिलने आती है। और दुर्गा मां हर नववर्ष में नया अनाज लाने अपने मायके जाती है, गांव वाले अपनी नई फसल को सबसे पहले मां दुर्गा को चढ़ाते है।
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इसके साथ ही मां दुर्गा प्रत्येक 6 साल बाद अपनी देवरा यात्रा पर जाती है। इस यात्रा में मां अपने क्षेत्र का भ्रमण करती है और अपने सभी भक्तों की कुशल क्षेम पूछ उन्हें आशीर्वाद देती है। मां के साथ उसके निशाण अर्थात अस्त्र शस्त्र भी जाते है। यह यात्रा एक से दो महीने की होती है। इस यात्रा में क्षेत्र के आठ गांव सम्मिलित है जो इस यात्रा को सफल बनाते है। तथा केदारनाथ के 360 पुरोहित भी शामिल है। इस मंदिर के चारो ओर पत्थर की मूर्ति और शीला बनी हूई है। जो पौराणिक समय से है।
यह मंदिर पूरा पत्थर से बना हुआ है, इस मंदिर में पत्थरों पर कई प्रकार की कलाकृतियाँ की गई है। यह मंदिर पौराणिक दृष्टि से बहुत ही पुराना है। मंदिर गांव की संस्कृति सभ्यता से भी अधिक जुड़ा हुआ है। यह मंदिर इस क्षेत्र की आस्था का एक प्रतीक है, जिसे मां दुर्गा के पाषण रूप में पूजा जाता है।