उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित देवशाल गांव का दो दिवसीय विशाल जाखराजा मेला हुआ संपन्न। शुक्रवार 15 अप्रैल, 2022 को जाखधार मंदिर में जाख देवता अपने नए पश्वा सच्चिदानंद पुजारी पर अवतरित हुए और धधकते अंगारों पर नृत्य किया।
केदारघाटी के जाखधार में लगने वाले पौराणिक जाख मेले में जाखराजा ने दहकते अंगारों में नृत्य कर भक्तों को आशीर्वाद दिया। इस अलौकिक शक्ति के दर्शन कर भक्तों की आंखें नम हो गई। नृत्य की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। मेला संपन्न होने के बाद भक्त अंगारों से तैयार राख को प्रसाद के रूप में अपने घरों को ले गए।
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जाख मेला समिति के तत्वावधान में चलने वाला जाख मेला क्षेत्र के कोठेड़ा, नारायणकोटी व देवशाल समेत क्षेत्र के 14 गांवों की आस्था से जुड़ा है। मेला शुरू होने से दो दिन पूर्व कोठेड़ा और नारायणकोटी के भक्तजन पौराणिक परंपरानुसार नंगे पांव जंगल में जाकर लकड़ियां एकत्रित कर जाख मंदिर लाए। बुधवार रात को जाखधार में कोठेड़ा व नारायणकोटी के भक्तों की ओर से एकत्रित लगभग 80 कुंतल लकड़ियों से अग्निकुंड तैयार किया गया।
गुरुवार को कोठेड़ा से जाख देवता के पश्वा, देवता के निशान को गाजे-बाजों के साथ जाखधार मंदिर लाया गया। यहां उपस्थित भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। जाखधार पहुंचने पर पहले जाखराजा अपने निश्चित स्थान पहुंचे, जहां कुछ देर विश्राम के बाद गंगाजल से स्नान किया। इसके बाद ढोल सागर की थाप पर नर रूप में देवता प्रकट हुए और जाखराजा ने अग्निकुंड में दहकते अंगारों में प्रवेश कर काफी देर तक नृत्य कर वहीं से भक्तों को आशीर्वाद भी दिया।
मेले में हिस्सा लेने के लिए गुप्तकाशी, ल्वारा, लमगौडी, नारायणकोटी, नाला, देवली भणिग्राम, रुद्रपुर, कालीमठ समेत केदार घाटी के विभिन्न गांवों के साथ-साथ जिले के दूरदराज क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई थी।
Interesting, more people should know about our ancient rituals.
Jai ho jakh raja Devta ki