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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में आज से ठीक नौ साल पहले का वो दिन जिसे याद कर आज भी सभी के होश उड़ जाते हैं। दर्शन को केदारनाथ गए हुए देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने आपदा का वो मंजर देखा था, जो आज भी उनके रौंगेटे खड़े कर देता है। ग्लेशियर टूटने से ऊफनाई हुई मंदाकिनी नदी ने हर जगह तबाही ही तबाही मचाई थी। इसके साथ ही केदारनाथ आपदा में कई श्रद्धालुओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। तो चार हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों का आज तक कुछ भी नहीं पता चला। सूत्रों की मानें तो आपदा के नौ साल गुजर जाने के बाद भी केदारघाटी में अब भी कई शव दफन हैं।

आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने केदारघाटी के पुनर्निर्माण के लिए मास्टर प्लान बनाया है, जिसपर काफ़ी तेज गति से काम भी हो रहा है। वर्ष 2013 की प्राकृतिक आपदा में तहस नहस हुआ भगवान शिव का केदारनाथ धाम नए रंग-रूप में उभर रहा है।

14 जून 2013 को धाम में बारिश शुरू हुई थी। वहीं 16 जून 2013 की शाम चौराबाड़ी ताल टूटने से मंदाकिनी में बाढ़ आई। जिससे पूरे केदारनाथ में तबाई मच गई थी। और रामबाड़ा भी तहस-नहस हो गया था। वहीं 17 जून 2013 की सुबह दोबारा चौराबाड़ी ताल से काफी पानी मलबा लेकर आया। केदारनाथ समेत पूरी घाटी में तबाही मच गई थी। हजारों यात्रियों की इसकी चपेट में आने से मृत्यु हो गई थी।

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आपको बता दें की मंदिर के ठीक पीछे ऊपर से बहकर आए एक बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को सुरक्षित कर दिया था। आज उस पत्थर को भीम शिला के नाम से जाना जाता है। और इसके साथ ही उसे पूजा भी जाता है। आज केदारनाथ आपदा के नौ साल बीत जाने के बाद भी, लापता और मारे हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ़-साफ़ दिखाई देता है।

हमारे वेब पोर्टल इंकलाब ज़िन्दाबाद की ओर से केदारनाथ आपदा में अपने प्राण गवाने वाली दिवंगत आत्माओं की भावभीनी श्रद्धांजलि

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