पुरुषों में जो रुतबा महानायक सचिन तेंदुलकर को हासिल है, वही दर्जा महिला क्रिकेट में रखने वाली 39 साल की मिताली राज ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों को आखिरी अलविदा कह दिया। सचिन की तरह महज 16 साल की उम्र में आयरलैंड के खिलाफ 1999 में शतक लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत करने वाली मिताली का सफर लगभग 23 साल चला।
इतने लंबे समय तक महिला वन डे में दूसरी कोई क्रिकेटर नहीं खेली। यह उनकी अगुवाई में 2017 का विश्वकप था, जिसके फाइनल में पहुंचने के बाद देश में महिला क्रिकेट की सूरत बदल गई।महिला क्रिकेट में उनके बराबर 10,868 रन अन्य किसी क्रिकेटर ने नहीं बनाएं। उन्होंने दुनिया में सर्वाधिक 232 वन डे खेले जिसमें सबसे ज्यादा 7,805 रन बनाए। वन डे में सबसे ज्यादा 89 मैच जीतकर दुनिया की सबसे सफल कप्तान बनी।
दो बार विश्वकप को फाइनल में पहुंचाया:
सचिन की ही तरह मिताली राज ने छह विश्वकप में देश का प्रतिनिधित्व किया। वह महिला क्रिकेट में सर्वाधिक विश्वकप खेलने वाली क्रिकेटर है। उनकी कप्तानी में भारत 2005 व 2017 के विश्वकप के फाइनल में पहुंचा। विश्व कप में लगातार 7 अर्धशतक भी लगाए। पहले वन डे (1999) में आयरलैंड के खिलाफ 114 रन बनाएं। मिताली को किताबें पढ़ने का शौक है। अक्सर मैच के समय उनको पढ़ते हुए देखा गया है।
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सबसे ज्यादा अर्धशतक बनाए:
महिला क्रिकेट में मिताली के आंकड़ों की फेहरिस्त जल्द समाप्त नहीं होगी। उनके नाम वन डे क्रिकेट में सर्वाधिक 64 अर्धशतक लगाने का रिकॉर्ड भी है। उन्होंने 2004 से 2013 के बीच लगातार 109 मैच खेलें। यह भी विश्व रिकॉर्ड है। वन डे में इंग्लैंड के खिलाफ सर्वाधिक 2005 रन बनाए। इंग्लैंड के खिलाफ टांटन में उन्होंने 2002 में 214 रन की पारी खेली। इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में उन्होंने और झूलन ने एक साथ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया।