उत्तराखंड के नैनीताल में जब एक महिला ने एफआईआर पर कार्रवाई करने की बात कही तो मुखानी थाने में तैनात थानेदार ने बदले में शारीरिक संबंध बनाने के साथ ही 5 लाख रुपये की डिमांड रखी। जिसके बाद थानेदार दीपक बिष्ट के खिलाफ इस मामले में कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है। इसके साथ ही दारोगा पर धमकी देने का आरोप भी है। बहरहाल अब इस मामले में कल शुक्रवार, 22 जुलाई को फैसला आ सकता है।
तीन महीने पहले एक पीड़ित महिला ने 26 अप्रैल को मुखानी थाने में तरुण साह के खिलाफ बलात्कार व धमकी देने का आरोप लगाया था। पीड़िता ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि पति के बीमार होने पर हर हफ्ते तीन दिन डायलिसिस कराने के हालात के बीच साह ने मजबूरी का फायदा उठाकर जबरन उससे संबंध बनाए। हाईकोर्ट के अंदर इस पूरे मामले में तरुण साह की याचिका पर सुनवाई हुई, तो पीड़िता की तरफ से कोर्ट में दारोगा दीपक बिष्ट पर भी साह के दबाव में कार्रवाई न करने के आरोप लगाए गए।
बिष्ट पर आरोप लगे है कि उसने साह पर कार्रवाई करने के लिए पीड़िता से जबरन संबंध बनाने की डिमांड के साथ- साथ 5 लाख रुपये की घूस भी मांगी है। इतना ही नहीं बिष्ट ने दूसरी पार्टी के वकील को भी देख लेने की धमकी दी। कोर्ट ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी थी। बुधवार सुबह सरकार ने कहा कि आरोपी दारोगा पर भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, लेकिन कोर्ट इस बात से अभी संतुष्ट नहीं दिखी।
वहीं दूसरी तरफ़, इस मामले में साह के वकील महेन्द्र पाल ने कहा कि पीड़िता ने साह पर गलत आरोप लगाए हैं। क्योंकि 3-4 साल से इनके बीच फिजिकल रिलेशन थे, तो FIR अब क्यों की गई। वहीं कोर्ट रूम में जज साहब इस बात को लेकर भी चिंता में दिखे कि कोई दारोगा किसी वकील को देख लेने की धमकी कैसे दे सकता है। बहरहाल, साह के वकील ने कोर्ट से दो दिन का समय लिया है, जिसके बाद कोर्ट ने 22 जुलाई को पहले केस के तौर पर इस मामले की सुनवाई तय की है। गौरतलब है कि साह एनएसयूआई के पूर्व नगर अध्यक्ष हैं।