देश भर में संक्रमण की रफ्तार थमते ही कोरोना के डर से बंद स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि, इन्हें कब से खोलना है, यह राज्यों को तय करना है। लेकिन इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से छात्रों की सुरक्षा को लेकर कुछ अहम दिशा-निर्देश दिए जा सकते हैं।
फिलहाल इसकी तैयारी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में तमिलनाडु सरकार ने 1 फरवरी से कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए शारीरिक कक्षाएं फिर से खोलने की घोषणा की है।
केंद्र ने मांगी बच्चों के टीकाकरण की जानकारी
सभी राज्यों से 15 साल से अधिक उम्र के छात्रों के टीकाकरण की जानकारी मांगी गई है। कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी होने से सभी राज्यों में जिस तरह से बाजार और दुकानें खुल गई हैं, वहां स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान भी खोलने का भारी दबाव है। खासकर जो बच्चे 10वीं और 12वीं कक्षा में हैं, उनके अभिभावकों की ओर से लगातार स्कूल खोलने की मांग की जा रही है। हालांकि इसके बाद भी ज्यादातर राज्य स्कूल खोलने से हिचकिचा रहे हैं।
दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों को पहले स्कूलों में बुलाया जा सकता है
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में कई राज्यों से संपर्क भी किया गया है। इसके साथ ही कोरोना की पिछली लहरों की तर्ज पर इस बार कोचिंग आदि जैसे अन्य शिक्षण संस्थानों सहित स्कूल खोलने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है।
उसके बाद ही मंत्रालय ने इस दिशा में काम शुरू किया है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं उनमें नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को ही स्कूल बुलाया जाएगा। बाकी बच्चों के बारे में अगले कुछ महीनों और स्थिति के बाद फैसला किया जाएगा। वहीं कोचिंग संस्थानों को भी सीमित संख्या में खोलने की अनुमति होगी।
केंद्र सरकार इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सकती है
शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में बोर्ड परीक्षा समेत जेईई मेन और नीट जैसी परीक्षाएं हैं। जिसके लिए स्कूलों को खोलना होगा। इससे पहले दसवीं और बारहवीं की प्रैक्टिकल परीक्षाएं भी होंगी। जिसमें छात्रों को बुलाना जरूरी होगा।
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स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, स्कूल आयु वर्ग के लोगों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बहुत कम है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के डर से स्कूल-कॉलेज बंद होने से बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है, लेकिन वे क्लास रूम जैसी शिक्षा से वंचित हैं। अधिकांश बच्चे इस ऑनलाइन शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।