आज भी रेतस कुंड में विद्यमान है भगवान भोलेनाथ की शक्ति। विज्ञान भी मानता है इस कुंड की ध्वनि से होती है कंपन।
समुद्र तल से 11750 फीट की उंचाई पर बसा बाबा केदारनाथ का धाम, आज भी इस धाम में कई प्रकार के चमत्कारी रहस्यमय कुंड विद्यमान है। जिसमें केवल भगवान महादेव अपने साक्षात दर्शन ही नही बल्कि पानी के स्पर्श मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा ही एक कुंड है केदारनाथ में जिसका नाम रेतस कुंड है। केदारनाथ के रेतस कुंड के आगे विज्ञान भी चकमा खा जाता है। इस कुंड की विशेष बात यह है की इसका पानी कभी भी खराब नहीं होता है। और इस कुंड के चमत्कार की बात करें तो इस कुंड में भगवान भोलेनाथ के जयकारे लगाने से भगवान शंकर अपने भक्तों को बुलबुले के रूप में दर्शन देते है।
महाभारत के समय से आप लोगो ने कई सारी रहस्यमय कथाएं सुनी होगी पर इस चमत्कारी कुंड के बारे में शायद कई लोगों ने नहीं सुना होगा। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक लिंग केदारनाथ में है जो हिमालय के उच्च शिखर पर विराजमान है। इस स्थान पर साक्षात भगवान शिव ने नर-नारायण ऋषि के तप से प्रसन्न होकर अपने ज्योतिर्लिंग स्वरूप को प्रकट किया। हिमालय भगवान शिव का हृदय माना जाता है। तथा पुराणों में कहा जाता है भगवान शिव निरंतर इस स्थान पर निवास करते है, तथा हिमालय के इस स्थान पर कई दिव्य चीजें भी है। यहां कई सारे कुंड विराजमान है जैसे रेतस कुंड, हंस कुंड, उदक कुंड, आदि।
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रेतस कुंड के अंदर एक शिवलिंग है तथा इस कुंड के नीचे एक पानी का तालाब है। जिसमे भगवान शिव की महिमा हैं। इस कुंड में बम बम भोले या फिर ॐ का जाप करने से आज भी असंख्य बुलबुले उठते है। जब तक ॐ नाम के जाप की ध्वनि इस कुंड में गूंजती है तब तक इस कुंड में बुलबुले उठते रहते है।
यह केदारनाथ मंदिर के समीप है। हालांकि 2013 की आपदा में इस कुंड को काफी क्षति पहुंची थी। तथा अब इस कुंड में केवल वर्षा का जल ही मौजूद है। ऐसा भी कहा जाता था की पहले इस कुंड में कभी भी कीड़े- मकोड़े नही पड़ते थे। पहले इस चमत्कारी कुंड का पानी लोग अच्छे तथा शुभ कार्य में उपयोग करते थे।