Surkanda Devi: दिव्य सुरकंडा धाम 🌼

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1 जून 2022

कुछ पल माँ सुरकंडा(Surkanda Devi) की गोद में, माँ सुरकंडा के दरबार मे इस तारीख को मैं कभी नहीं भूल सकती। क्योंकि इस दिन मुझे पहली बार माँ सुरकंडा दिव्य डोली के दर्शन हुए थे। और उस दिन माँ सुरकंडा का जन्म दिवस यानी स्थापना दिवस भी था। जब मैंने पहली बार मां सुरकंडा को देखा तो ऐसा लगा जैसे इस पृथ्वी, इस ब्रह्मांड के सबसे सुंदर रूप को देख लिया हों। वह चेहरा चांद से भी सुंदर लगा। उस दिन मैंने माता का सुंदर सा नृत्य देखा, माता ने अपने हाथ में चावल की हरियाली उगाई। यह भगवती की शक्ति है की कैसे वह अपने हाथों में चावल की हरियाली उगाती है।

13 नवंबर 2022

मेरा जन्म दिवस का दिन, यह दिन मैंने माँ सुरकंडा के साथ बिताया इस दिन का हर पल आज भी मुझे याद है। मैं माता के लिए मिठाई, माला और चुनरी लेकर गई। माता ने मिठाई में अपना छत्तर रखा, इसका मतलब है कि माता ने मेरी मिठाई स्वीकार कर ली है। माता ने मेरे सिर पर अपना छत्तर रखा और ऐसा लगा जैसे सारी कठिनाइयां, सारी परेशानियां सब एक ही पल में दूर हो गई हो। माँ जब अपना छत्तर हमारे सर पर रखती है तो इसका मतलब होता है की माता अपना आशीर्वाद दे रही है। हम जितना प्रेम माता रानी से करते हैं, उससे कई ज्यादा प्रेम माता रानी हमसे करती है। सभी लोग माता के लिए अपनी इच्छा अनुसार भेंट लेकर आते हैं। कोई फल लेकर आते हैं तो कोई चावल। कोई फूल लेकर आते हैं तो कोई माँ का श्रृंगार। माता को अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी भेंट कर सकते हैं।

माता ने हम सबको इतना सुंदर संसार दिया है जिसका हम कभी भी ऋण नहीं चुका सकते हैं। वह तो जगत- जननी है।

27 नवंबर 2022

जिस दिन मैं, माँ सुरकंडा के मंदिर गई थी वहाँ की तो बात ही अलग है। मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरा कोई बरसों पुराना सपना सच हो गया हो। माँ को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे देखते ही रहो बस माता से तो नजर ही नहीं हट रही थी।

मानो माँ सुरकंडा(Surkanda Devi) अपने बच्चों से बातें कर रही हो। माँ सुरकंडा दिव्य दरबार तो एक सुकून का दरबार है, ऐसा लगा जैसे मैंने आसमान छू लिया हो। इतना भव्य मंदिर वहाँ से अति सुंदर दृश्य का दिखाई देना एकदम आनंद आ रहा था। जैसे माता ने अपनी गोद में पकड़ा हो मुझे। माँ सुरकंडा दिव्य दरबार के वह पल तो मैं अभिव्यक्त भी नहीं कर सकती। माँ के बारे में जितना लिखो उतना कम है।

माता तो सबके दुख दूर करने वाली होती है, माँ तो सब की समस्याओं के हल निकाल देती है। लोग अपनी समस्या लेकर माता के दरबार आते हैं और माता स्वयं उनके पास जाकर उनका नंबर लगाती हैं। नंबर लगाना यानी माता अपने भक्तों को चुनती है जिसे पहले चुनेगी उसका पहला नंबर और जिसे दूसरी बार चुनेगी उसका दूसरा नंबर। ऐसे करते-करते नंबर लगाती हैं। माता जिन को चुनती है उनके नंबर के हिसाब से उनका नाम लिखा जाता है। तब वह लोग अगले रविवार माता के दरबार आते हैं। क्योंकि माँ सुरकंडा(Surkanda Devi) डोली दरबार हर रविवार को लगता है प्रातः 10:00 बजे से भगवती इच्छा अनुसार। माता ने पैरेलाइज कैंसर जैसी कई बीमारियाँ भी अपने भक्तों की ठीक की है। माता रानी निसंतानों को संतान देती है, माँ भगवती के आशीर्वाद से बहुत सारी औरतों को संतान प्राप्ति हुई है। वह कहते हैं ना कि माँ के दरबार में किसी का दामन खाली नहीं रहता, माता हमेशा अपने भक्तों को दुगना करके देती है।

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माता सब की है वह अपने भक्तों को हमेशा समानता के भाव से देखती है। माँ भगवती कभी भी किसी मनुष्य में अंतर नहीं रखती उनके लिए अमीर -गरीब सब समान है। माता अपने भक्तों को तभी भरपूर देती है जब भक्त भी अपने नियम कानून में रहे। भक्त किसी भी नियम का उल्लंघन ना करें। वह अपने नियम से रहे।क्योंकि कहते हैं ना बेटे को सिर्फ कंधे तक ही बैठाना चाहिए अगर सिर पर बैठा दिया तो आप स्वयं ही समझ लीजिए… ठीक उसी प्रकार माता की गोद अपने बच्चों के लिए हमेशा खुली है। माता अपने भक्तों के लिए हमेशा खड़ी हैं। वह भगवती अंत भी है और आरंभ भी।

धन्यवाद
❤️जय सुरकंडा🌼जय चामुंडा❤️

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