उत्तराखंड में रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ को लेकर नैनीताल प्रशासन ने छानबीन तेज कर दी है। आपको बता दें कि उत्तराखंड के चीन-नेपाल बॉर्डर से होते हुए रोहिंग्या मुसलमान उत्तराखंड में घुसपैठ कर सकते हैं। रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ की वजह से इन दिनों उत्तराखंड में खतरे की घंटी बज चुकी है इसको लेकर पुलिस भी एक्शन में आ गई है। एसएसपी के आदेश के बाद सभी क्षेत्रों में अलग-अलग जांच अधिकारी बनाए गए हैं। वही अलग-अलग सिपाही अपने क्षेत्र में जाकर विशेष समुदाय के लोगों की भौतिक जांच शुरू करेंगे।
दरअसल पुलिस को खबर मिली है कि नैनीताल जिले में कुछ रोहिंग्या मुसलमानों ने घुसपैठ की है। विशेष धर्म वाले यह लोग, अपने धर्म वाले क्षेत्रों में ही अपने लिए जमीने तलाश रहे हैं। लेकिन अभी तक विशेष धर्म वाले इन लोगों के आने का कोई ठोस सबूत पुलिस के पास नहीं है। लेकिन उत्तराखंड प्रशासन और पुलिस रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ के मामले को हल्के में नहीं लेना चाहती।
वही घुसपैठ की खबर के बाद अधिकारी भी एक्शन मोड में आ गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर जांच के आदेश दिए हैं और यह भी साफ कर दिया गया है की रोहिंग्या मुसलमानों घुसपैठ की खबर अगर सही निकली तो पुलिस इनके खिलाफ जल्द कड़ा कदम उठाएगी।
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मौजूदा सरकार उठाएगी सख्त कदम
रोहिंग्या मुसलमान फिर इन दिनों चर्चा के केंद्र में हैं, गृह मंत्री अमित शाह रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ का मामला पहले भी उत्तराखंड की एक चुनावी रैली में उठा चुके हैं। उन्होंने अपोजिशन पार्टी पर भी रोहिंग्या मुसलमानों को उत्तराखंड में घुसाने की साजिश का आरोप लगाया था।
आपको बता दें कि रोहिंग्या मुसलमानों का ये मसला नया नहीं है। यह लगातार देश में समय-समय पर उठता रहा है, लेकिन फिलहाल मौजूदा सरकार का इनको लेकर रवैया सख्त है। सरकार खुलकर इन्हें राज्य से बाहर करने की बात करती हैं।
कौन है रोहिंग्या मुसलमान
रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। यें म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय से, जाति के रूप में, भाषा के रूप में, और धर्म के रूप में अलग है। आपको बता दें कि रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन क्षेत्र में रहते हैं। रखाइन क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो म्यांमार के सबसे कम विकसित क्षेत्र में आता है। 78 फ़ीसदी से ज्यादा यहां के रहने वाले लोग, गरीबी रेखा से नीचे आते है। यहां पर लगभग 1100000 रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं।
क्यों नहीं मिली रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार में मान्यता ?
वैसे तो रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में सदियों से रहते आ रहे हैं। लेकिन 1962 में तख्तापलट हुआ था जिसके बाद रोहिंग्या मुस्लिमों पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा। साल 1982 में ऐसा कानून म्यांमार में पास किया गया, जिसमें रोहिंग्याओं को देश का नागरिक नहीं माना गया। म्यांमार की सरकार मानती है, कि रोहिंग्या भारत और बांग्लादेश के अवैध प्रवासी है, यह स्टेटलेस है और इनका कोई मुल्क नहीं है।
म्यांमार से क्यों भागे रोहिंग्या मुसलमान ?
25 अगस्त 2017 को रोहिंग्या चरमपंथियों ने म्यांमार मे उत्तरी रखाइन में पुलिस पर हमला कर दिया था जिसमें 12 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी और बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मी घायल हुए थे। कहा जाता है कि इस हमले के बाद से ही रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से खदेड़ने का ऑपरेशन शुरू किया गया था।