आजादी के 74 साल और अलग राज्य गठन के 22 साल बाद भी उत्तराखंड के कई गावों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। आज भी लोग आदिम युगसा जीवन जीने को मजबूर है। भले ही उत्तराखंड सरकार लगातार विकास के दावे कर रही है लेकिन पर्वतीय जिलों में आज भी डोली व डंडे- कंडी के सहारे ही मरीजों को अस्पताल तक पहुँचाया जा रहा है। खासकर तो बरसात के मौसम में मुश्किलें और भी अधिक बढ़ जाती है। उत्तराखंड के ग्रामीण छेत्रो में रहने वाले लोगों के दर्द को बयां करती ऐसी ही एक तस्वीर एक बार फिर से सामने आई है।
दरसल उत्तरकाशी जिले के डिगाड़ी गाँव में बीमार को डोली के सहारे खराब रास्तों से होते हुए 8 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुँचाया गया। डिगाड़ी गाँव निवासी शकुंतला देवी(49) बीते एक सप्ताह से बीमार चल रही थी। सोमवार, 18 जुलाई को ज्यादा तबीयत खराब होने पर परिजनों ने डोली के सहारे विषम भौगौलिक परिस्थितियों के बीच 8 किलोमीटर पैदल चलकर बड़कोट अस्पताल पहुँचाया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे हायर सेंटर रेफ़र कर दिया गया।
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इस मामले में ग्रामीणों का कहना है की गाँव में कोई स्वास्थ्य केंद्र की कोई सुविधा नहीं है। एनएस सेंटर में अक्सर ताला लगा रहता है। छेत्र के लिए सड़क निर्माण का कार्य भी लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है।