यमुनानगर के कांग्रेस नेता राजेंद्र वाल्मीकि के बेटे जानू वाल्मीकि को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई है। इससे पहले भी 2020 में राजेंद्र वाल्मीकि के दूसरे बेटे रमन बाल्मीकि को रंजिश के तहत जेल में ही जहरीला खाना खिलाकर मरवा दिया गया था एक बार फिर आपसी रंजिश के तहत जानू वाल्मीकि को मरवा दिया गया।
जानू वाल्मीकि रात के 1:00 बजे शादी समारोह से लौट रहे थे तभी कुछ लोग वहां पैलेस के बाहर पहले से ही घात लगाकर बैठे थे, जैसे ही जानू वाल्मीकि अपने तीन दोस्तों के साथ बाहर निकलते हैं, वैसे ही उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई जाती है, जिसमें उनके सिर में दो गोलिया लगती है और उनकी मौके पर ही मौत हो जाती है।
जानू वाल्मीकि के साथ उनके तीन और दोस्त थे। जिनमें से एक लुधियाना के निवासी हैं, जिनका नाम अनमोल सिंह है। दूसरे सिटी सेंटर के पास स्थित श्री राम कुंज बिहारी मंदिर के पास रहते हैं, जिनका नाम रजत है। वहीं तीसरे दोस्त मोहित बताए जा रहे हैं, जिनके हाथों और टांगों में गोलियां लगी है। इन तीनों का फिलहाल गाबा हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है, जानू वाल्मीकि को भी इसी अस्पताल में लाया गया था जहां डॉक्टरों ने ही जानू को मृत घोषित कर दिया था।
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पहले भी चली थीं जानू वाल्मीकि पर गोलियां
बताया जाता है कि 3 साल पहले सुनील गांव के निवासी सचिन के साथ जानू का झगड़ा हुआ था, और उस वक्त दोनों पक्षों में मारपीट हुई थी जिसके बाद इस घटना में राजेंद्र वाल्मीकि के बड़े बेटे रमन बाल्मीकि जो इस वक्त इस दुनिया में नहीं है, उन पर केस दर्ज हुआ था पुलिस ने रमन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। उसी वक्त जेल में रमन की हालत खराब हो गई, अस्पताल में इलाज के लिए रमन वाल्मीकि को ले जाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
तब परिजनों ने रमन वाल्मीकि को साजिश के तहत मरवाने का आरोप लगाया था। अब राजेंद्र वाल्मीकि के छोटे बेटे जानू को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। इससे पहले भी जानू वाल्मीकि पर गोलियां चल चुकी है आपको बता दें कि दिसंबर के महीने में कुछ बदमाशों ने जानू वाल्मीकि पर गोलियां चलाई थी लेकिन उस समय वह बच गया था। इसी मामले में सचिन के साथ तीन और आरोपी नामजद है।
यमुनानगर पुलिस पर खड़े होते हैं सवाल ?
यमुनानगर पुलिस पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आज तक पुलिस उनको गिरफ्तार क्यों नहीं कर पाई? कहीं ना कहीं पुलिस की लापरवाही के कारण आज राजेंद्र वाल्मीकि ने अपने दोनों बेटों को खो दिया है। यमुनानगर में इस तरह के माहौल को देखते हुए ऐसा लगता है कि यमुनानगर अब मिर्जापुर बन चुका है जहां ना तो कोई किसी की जान लेने से डरता है और ना ही पुलिस का यहां कोई डर है।